चैन
कहां-कहां नहीं खोजा तुमको ।
हस़ीन पहाड़ों की वादियों में ।
बागों की बहारों में ।
आलीशान जलसों में। दोस्तों की म़हफिल में।
ऐश़ो इश़रत में।
मय़खाने की मय़नोशी में। खेलों की बाज़ी में।
साधु संतों और पीर फकीर बाबाओं की संगत में ।
कीर्तन और भजनों के रतजगों में । किस्सागोई में । पर तुम कहीं ना मिले।
सोचता हूं तुम कहीं मुझ में ही छिपे थे ।
जिसे मै अब तक ढूंढने में नाकाम रहा था।