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25 Jun 2018 · 1 min read

चूड़ियां सिन्दूर पिता हैं

मेरी अम्मा की चूड़ियां सिन्दूर पिता हैं

उनके सोच में रहते हर दस्तूर पिता हैं

अम्मा का रोना-धोना व वजूद पिता हैं

उनकी हर बात में सदा मौजूद पिता हैं

***

चले रोजी-रोटी कमाने परदेश पिता हैं

लौटकर जब आ जाएं त्योहार पिता हैं

खुशियां भर कर साथ में लाएं पिता हैं

लिपट गए हृदय से फिर आंसू पिता हैं

***

परिवार हर सदस्य का संस्कार पिता हैं

सभी शुभ विचारों का आकार पिता हैं

जब-जब पड़ी जरूरत बाज़ार पिता हैं

समन्वित ज़िन्दगी का व्यवहार पिता हैं

***
घर के खर्चों के सामने मजबूर पिता हैं

परवरिश में न चूक हो मजबूत पिता हैं

जब आयी मुसीबतें तब चट्टान पिता हैं

मिल गई सफलता तो मुस्कान पिता हैं

***

मेरे जीवन की सर्वोत्तम सौगात पिता हैं

हर अच्छे काम की तो शुरुआत पिता हैं

पल- पल नज़र रखता भगवान पिता हैं

मुझको दिया एक नाम पहचान पिता हैं

***

परिवार की धड़कनों का सांस पिता हैं

हर काम में होता रहे अहसास पिता हैं

हरदम रहता गतिमान विश्वास पिता है

अन्दर से सदैव दे रहा प्रकाश पिता हैं

***

– रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’




Language: Hindi
306 Views
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