चुल्लू भर पानी में
बेशर्मी की कहानी हो
उलाहने की बानी हो।
अपनी बात से ठह देते हैं,
और लोग कह देते हैं।
लानत है ऐसी जिंदगानी में
इससे अच्छा तो डूब मरो,
चुल्लू भर पानी में….
लेकिन चुल्लू भर पानी में,…
पवित्रीकरण,आचमन हो अर्पण,
चुल्लू भर पानी से हो अर्घ तर्पण।
चुल्लू भर पानी में वुजू करें मुल्ला।
चुल्लू भर पानी से कर सकते कुल्ला।
चुल्लू भर पानी में बनती एक चाय।
चुल्लू भर पानी में पक्षी नहाय।
चुल्लू भर पानी है इतना महान,
चुल्लू भर पानी में होता गोदान।
जब भी है खुलता बोतल का टैग,
चुल्लू भर पानी में बनता एक पैग।
चुल्लू भर पानी में मुंह धोय छोरी,
चुल्लू भर पानी है पीती चकोरी।
लेकिन यदि….
हाथों में न दान हो,
सत्संग में न कान हो।
हृदय में न दया हो,
आंखों में न हया हो।
भाव में न प्यार है,
मन में न उपकार है।
सबका नुकसान करे,
बेईमानी से न डरे।
और कुमार्ग पर ही
चलने का इरादा है,
तो डूब मरने के लिये,
चुल्लू भर पानी भी ज्यादा है।