चुलबुल परी
मुक्तक – चुलबुल परी
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न कभी ओ झुकी,न किसी से डरी।
बोल उसके ज्यों बजने लगी बाँसुरी।
पापा कह-कह मुझे जो प्रफुल्लित करे,
मेरे बगिया की कोमल सी चुलबुल परी।
तेरी पैजनिया से,स्वर की बरसात हो।
मन को शीतल करे,तुम वही बात हो।
दिखता इंद्रधनुष , तेरी मुश्कान में।
तुम ही दिन हो मेरी,और तुम्ही रात हो।
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✍️✍️डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”✍️✍️