Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2023 · 1 min read

चुलबुल परी

मुक्तक – चुलबुल परी
★★★★★★★★★★★★★
न कभी ओ झुकी,न किसी से डरी।
बोल उसके ज्यों बजने लगी बाँसुरी।
पापा कह-कह मुझे जो प्रफुल्लित करे,
मेरे बगिया की कोमल सी चुलबुल परी।

तेरी पैजनिया से,स्वर की बरसात हो।
मन को शीतल करे,तुम वही बात हो।
दिखता इंद्रधनुष , तेरी मुश्कान में।
तुम ही दिन हो मेरी,और तुम्ही रात हो।
★★★★★★★★★★★★★★
✍️✍️डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”✍️✍️

Language: Hindi
1 Like · 134 Views

You may also like these posts

ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
Ajit Kumar "Karn"
मेरा भारत बदल रहा है,
मेरा भारत बदल रहा है,
Jaikrishan Uniyal
स्त्री न देवी है, न दासी है
स्त्री न देवी है, न दासी है
Manju Singh
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
चंदा मामा सुनो मेरी बात 🙏
चंदा मामा सुनो मेरी बात 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
Ranjeet kumar patre
हिन्दी पढ़ लो -'प्यासा'
हिन्दी पढ़ लो -'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
साजन की याद ( रुचिरा द्वितीय छंद)
साजन की याद ( रुचिरा द्वितीय छंद)
guru saxena
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
सत्य कुमार प्रेमी
मन के भाव
मन के भाव
Surya Barman
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
Shweta Soni
डूब गए    ...
डूब गए ...
sushil sarna
रिश्तों के जज्बात
रिश्तों के जज्बात
Sudhir srivastava
हर जमीं का कहां आसमान होता है
हर जमीं का कहां आसमान होता है
Jyoti Roshni
मोहब्बत
मोहब्बत
Phool gufran
गौरव से खिलवाड़
गौरव से खिलवाड़
RAMESH SHARMA
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
Manoj Mahato
” अनोखा रिश्ता “
” अनोखा रिश्ता “
ज्योति
नेतृत्व
नेतृत्व
Sanjay ' शून्य'
"औकात"
Dr. Kishan tandon kranti
जाणै द्यो मनैं तैं ब्याव मं
जाणै द्यो मनैं तैं ब्याव मं
gurudeenverma198
कुछ बातें किया करो
कुछ बातें किया करो
Surinder blackpen
एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
Abhishek Soni
मययस्सर रात है रोशन
मययस्सर रात है रोशन
डॉ. दीपक बवेजा
शु
शु
*प्रणय*
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
पूर्वार्थ
........,?
........,?
शेखर सिंह
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
3908.💐 *पूर्णिका* 💐
3908.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...