“चुलबुला रोमित”
“चुलबुला रोमित”
उछलता कूदता रहता सारे दिन
नए नए रोजाना खिलौने मांगता
दीदी की आज्ञा का पालन करता
ऐसा नटखट है मेरा बेटा रोमित,
थियेटर में बैठ कार्टून मूवी देखता
साथ में खुश हो पॉपकॉर्न खाता
पापा की गोद में बैठ कार चलाता
ऐसा चुलबुला है मेरा बेटा रोमित,
शाम हुई तो रोज बाहर घूमने जाता
फुटबॉल को मन लगा कर खेलता
बेसब्री से रविवार की बाट देखता
वीडियो गेम का दीवाना है रोमित,
कीड़े मकोड़ों पर नित रिसर्च करता
जमीन पर लेट चींटी से बतियाता
हर नन्हा प्राणी इसके मन भा जाता
वैज्ञानिक बनना चाहता है रोमित।