चुरा लो हसीन लम्हो को उम्र से, जिम्मेदारियां मोहलत कब देती ह
चुरा लो हसीन लम्हो को उम्र से, जिम्मेदारियां मोहलत कब देती हैं।
गमों को कुछ यूं भी हराया करों, तुम बेवजह मुस्कुराया भी करो।
मुझे नही आता उड़ती पतंगों सी चालाकियां, गले मिलकर गला काटू वो माझा नहीं हूँ मै।
तम्मना हो मिलने की तो, बंद आँखों में भी नज़र आएंगे, महसूस करने की तो कोशिश कीजिए, दूर होते हुए भी पास नज़र आएंगे।
कागज़ पर तो अदालत चलती हैं, हमने तो तेरी आँखों के फैसले मंजूर किए हैं।
मेडिकल की दवा और मोहब्बत की हवा, इंसान की तबियत बदल देती हैं।
वादों की जरूरत नहीं होती, उन रिश्तों में, जहाँ निभाने वाले पर, भरोसा होता हैं।
सोचा था हर मोड़ पर तुम्हे याद करूंगा, कमबख्त पूरी सड़क ही सीधी निकली, कोई भी मोड़ न मिला।
मेरे प्यार की हद न पूछो तुम, हम जीना छोड़ सकते हैं, पर तुम्हे प्यार करना नहीं।
तेरे दरबार ए नाज में क्या पेश करूँ, मेरी झोली में मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं हैं।
ये प्यारा सा दिल मेरा, रखे ख्याल सिर्फ तेरा।
– सुधा ☺️