“चुप रहना ही बेहतर” (संक्षिप्त कहानी)
कभी-कभी विजया किसी की व्यक्तिगत जानकारी मालूम भी हो तो भी चुप रहना ही बेहतर ।
नाती की शादी का लुत्फ उठातीं। तुम्हें प्रीती की शादी नहीं होने संबंधी गलत-बात गलत-जगह पर कहने की क्या जरूरत?
गलती हुई भैय्या, मैं भूल गई कभी मेरे ऊपर भी उंगली उठाए कोई तो?