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27 Aug 2024 · 1 min read

चुप्पियों के साए में जीते हैं हम सभी,

चुप्पियों के साए में जीते हैं हम सभी,
ज़िंदगी का हर लम्हा, मौन में बीते हैं हम सभी।

हर बात अनकही सी रहती है दिल में,
बोलने की हसरत दिलाए, पर होठ सिले रहते हैं सभी।

कभी-कभी सोचते हैं हम, क्या हम सही कर रहे,
क्यों न कहे वो बातें, जो दिल में छिपाए हैं सभी।

एक दिन हम सब चुप्पियों के बोझ तले खो जाएंगे,
आखिरी ख़याल यही रहेगा, हमें कहना चाहिए था, यही रह जाएगा।

ज़िंदगी के इस सफर में, अनकही बातों का जो हाल है,
हर दिल के कोने में वही अधूरी बातें बसी हैं सभी।

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