*चुप्पियाऀ खा जाएऀगी (गीतिका)*
चुप्पियाऀ खा जाएऀगी (गीतिका)
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(1)
चुप रहे इस दौर में तो चुप्पियाऀ खा जाएऀगी
और कुछ बोले अगर तो आऀधियाऀ खा जाएऀगी
(2)
जीभ से यह कह दो अब ,दिखनी नहीं तुम चाहिए
अन्यथा संपूर्ण तन ,बरबादियाऀ खा जाएऀगी
(3)
किससे करें उम्मीद जब ,अपनों ने ही दी सजा
जब समय विपरीत है, अच्छाइयाऀ खा जाएऀगी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451