उन्हें चुपके-चुपके रोते देखा है।
आज फिर मैंने उन्हें चुपके-चुपके रोते देखा है।
रुखसार को अपने ही अश्को से धोते देखा है।।1।।
गरीबी का हाल ना यूँ पूंछों लड़की के बाप से।
उनकी तमन्ना को उनके दिल में मरते देखा है।।2।।
अपना खू बेच कर वह बच्चो को लाया खाना। मैंने भी ज़िन्दगी को हालातो से लड़ते देखा है।।3।।
अच्छा ना अहम ज्यादा दुनियाँ की दौलतों का।
नसीब को पलमें बनते पल में बिगड़ते देखा है।।4।।
गरीबी भी है अल्लाह का कहर उस पे है गिरा।
बाजार में मैंने एक ज़िन्दगी को बिकते देखा है।।5।।
किस पर करें भरोसा किस की बातो को माने।
हमनें शिफ़ादार को मरीजेकत्ल करते देखा है।। 6।।
सब सोंचते है कि उसको रहता है बड़ा ही गम।
वह हँसता भी है हमने कल उसे हँसते देखा है।।7।।
उसकी भी किस्मत क्या खूब खुदा ने बनाई है।
कश्ती को मैंने उसकी साहिल पेडूबते देखा है।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ