*चुपके-चुपके खोई प्रोफाइल देखती हो*
चुपके-चुपके खोई प्रोफाइल देखती हो
*******************************
चुपके-चुपके खोई प्रोफाइल देखती हो,
बिना तुम्हारे कैसी स्माइल देखती हो।
कुछ भी न रहा दिल मे हमारे आप बिन,
छोड़ कर दिल तोड़ मिसाइल देखती हो।
बिखेर दिया रंग ए रंज तुमने इस कदर,
उखड़ी उखड़ी मन की टाइल देखती हो।
राज क्या दिलदार ने छुपाया है आप से,
चोरी चोरी से क्यों मोबाइल देखती हो।
गम ए जुदाई में बेशक बिखरा मनसीरत,
रोज-रोज बदला सा स्टाइल देखती हो।
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)