चुन ले आस के मोती , स्वप्न सजा मानवता के
चुन ले आस के मोती , स्वप्न सजा मानवता के
पंछी कब उड़ जाएगा, एहसास नहीं होगा तुझको
पीर पराई जान ले , उनके गम को अपना मान ले
बिखर – बिखर रह जाएगा , एहसास नहीं होगा तुझको
लम्हा – लम्हा जिंदगी की, डोर को तू थाम ले
वक्त यूं ही पराया हो जाएगा , एहसास नहीं होगा तुझको
पोस्ट, लाइक, कमेंट की , गुत्थी में ना उलझ
भ्रम जाल में फंस जाएगा , एहसास नहीं होगा तुझको
जोखिमों के इस शहर में, दो पल सुकून के जी ले
डोर सांसों की कब टूट जाएगी , एहसास नहीं होगा तुझको
प्रीत का एक समंदर , हो सके तो कर रोशन
खिलती कलियां कब मुरझा जायेंगीं , एहसास नहीं होगा तुझको
खुद से कर मोहब्बत , खुद का दुश्मन ना बन
राहे – मंजिल से कब भटक जाएगा , एहसास नहीं होगा तुझको
मन को दे संदेश, शक्ति का और शांति का
मोक्ष द्वार कब छूट जाएगा , एहसास नहीं होगा तुझको
चुन ले आस के मोती , स्वप्न सजा मानवता के
पंछी कब उड़ जाएगा, एहसास नहीं होगा तुझको
पीर पराई जान ले , उनके गम को अपना मान ले
बिखर – बिखर रह जाएगा , एहसास नहीं होगा तुझको