चुनौती किसको देते हो ?
मेरी ये कविता सारी महिलाओं के लिए है हम सबने निम्नलिखित में से कोई न कोई चुनौती ( ताने ) कभी न कभी तो सुनी ही होगी ‘ जी हाँ हमें चुनौतियां तानों के रूप में सुनाई जाती हैं ‘ ( ज़रूरी नही सब सुनाते हों…अभी भी इंसानियत बची है ) हम सब इन तानों को चुनौती समझ सुनते भी हैं… अगर एक ने भी इनमें से एक भी चुनौती नही सुनी तो उनके लिए एक ही शब्द है ‘ भाग्यशाली ‘….इन सारी चुनौतियों के जवाब में प्रस्तुत है मेरी ये कविता…..
‘ चुनौती किसको देते हो ? ‘
चुनौती किसको देते हो
की जाकर रसोई संभालो ?
उसको जो नौ महीने जतन से
तुमको प्यार से गर्भ में संभाली है ,
चुनौती किसको देते हो
की तुमसे ना हो पायेगा ?
उसको जो मृत्यु से लड़ कर
तुमको इस दुनिया में लाई है ,
चुनौती किसको देते हो
की अपनी औकात मत भूलो ?
उसको जो अपना सब छोड़ कर
तुमको खुश रखने में सब भूल जाती है ,
चुनौती किसको देते हो
की अपने घर से यही सीख कर आई हो ?
उसको जो पहला ककहरा
तुमको जीवन का सीखाती है ,
चुनौती किसको देते हो
की अपनी हद में रहो ?
उसको जो उड़ना जान कर भी
तुमको अपने पंख दे देती है ,
चुनौती किसको देते हो
की ज्यादा सपने मत देखो ?
उसको जो तुम्हारे सपने सच हों
इसके लिए निराजल रहती है ,
चुनौती दे देकर तुमने
उसको मजबूर कर दिया
उसके मौन ने कुछ ज्यादा
तुमको मग़रूर कर दिया ,
सुनो ! चुनौती उसको देते हैं
जब सामने वाला बराबर का होता है ,
अगर बराबरी में मुकाबला हो तो
परिणाम उन्नीस – बीस होता है ,
चुनौती उसको कैसे दे सकते हो ?
जो सहनशीलता की पराकाष्ठा हो
जो खुद अपने आप में आस्था हो ,
जो ममत्व – ममता की मूरत हो
जो धरती पर देवी की सूरत हो ,
जो देवों का देवालय हो
जो ऊँचाई में हिमालय हो ,
जो अनंत शक्ती हो
जो शिव की भक्ति हो ,
जो हिम्मत में दुर्गा हो
जो क्रोध में काली हो ,
जो भरी हुई गागर हो
जो अथाह अगाध सागर हो ,
इनको चुनौती दे कर
कहाँ तुम जाओगे
पूरी धरा पर घूम कर
इनकी शरण ही आओगे ।
स्वरचित एंव मौलिक
( ममता सिंह देवा , 15/03/2021 )