चुनाव
चुनाव
रीति-नीति सब कर निषिद्ध
मसतायेंगे चील,गिद्ध
कौओं के काँव काँव होंगे
जो माननीयों के चुनाव होंगे
एक बार फिर से देश में
घूमेंगे भेड़िये भी सफेद वेश में
उड़ेगी कड़क नोटों की गड्डियां
बंधेगी गांधारी-सी पट्टियाँ
आमजनों के सरल नेत्र में
कुछ गुमशुदा भी, दिखेंगे क्षेत्र में
वोट मांगेंगे हाथ जोड़कर
धरम,जाति का भाव मरोड़कर
चन्द दिनों में वे चले जायेंगे
लोग तो वैसे ही,छले जायेंगे
फिर भी हमें इसपे गर्व है।
ये लोकतंत्र का पर्व है।
-©नवल किशोर सिंह