चुनाव
पांच बछर के गुजरे ले ,
सुरता तुन्हर सताए लागथे।
खुर्सी दंउड के सपना म ,
अंतस मोर छटपटाए लागथे।।1।।
दिन बादर फेर आवत हे ,
हिसाब – किताब लगाय के ।
घर – घर पहुंच सेवा ,
हाल – चाल सोरियाय के ।।2।।
कहाँ कतना खर्चा – पानी ,
कतना मिलही वोट ।
भर भर के लेवना कस बानी ,
लिख रखे हौं अइसे नोट ।।3।।
कांही उदिम होवय मोर ,
मगन होके करहूँ ।
अब ओनली फुल टाइम ,
जन सेवा करहुँ ।।4।।
तुन्हर आशीर्वाद बने रही त ,
परम पद म चढ़हूं ।
उपर निचे नई पुरहि ,
टेबुल के नीचे ले धरहू ।।5।।
अब फैसला तुन्हर हांथ स्वामी ,
मैं तो भिखारी तांव ।
धरम संकट के बेरा पड़गे,
तुम्हीं कर दौ मोर चुनाव ।।6।।
हर मन के बात पता हे ,
सबके सपना पूरा करे के वादा।
लोक लुभावन मेनिफेस्टो हे ,
मोर चरित्र हे सबले सादा ।।7।।
कोन उदीम करव बता दौ ,
फेर लालटेन गाड़ी घुमाव ।
कर्मठ – जुझारू – शिक्षित ,
योग्य प्रत्याशी हे मोर नाव ।।8।।
* लखन यादव (गंवार)*
गांव बरबसपुर (बेमेतरा) 36गढ़