चुनाव के दौर से (नील पदम् के दोहे)
लोकतंत्र सबसे बड़ा, सबसे बड़ा चुनाव,
मताधिकार का मान रख, सब पहुँचो अपने गाँव ।
जिस नेता के काज गलत, जिसकी नीयत में खोट,
पक्ष-विपक्ष न देखिये, दीजो वोट की चोट ।
देश के हित को देखना, जब करना मतदान,
कितना पानी दूध है कितना, सर्प नेवला जान ।
गुप्तदान की महिमा बड़ी, जन्म सुफल हुई जाय,
मन रखियो चुपचाप सब, जब मत दीजो जाय ।
काम न आया गर कभी, दूर रखा हो विकास,
अस जब पहुँचे आप तक, मत कीजो विश्वास ।
षड्यंत्रों को जो बुने बस, पाने को सत्ता राज,
सही वक़्त मतदान का, उन्हें ठोंक दो आज ।
जात-पात की बात जो, देता रोज बताय,
उस पर झाड़ू फेर दो, कितना भी बहकाय ।
जात-पात देखो नहीं, न मजहब, पंथ या धर्म,
प्रत्याशी को वोट दो, देख के उसके कर्म ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव ” नीलपदम् “