चुनाव का मौसम
हमारे पर्यावरण में ऐसे तो मुख्यतः चार तरह के ही मौसम (ग्रीष्म,शीत,वर्षा एवं वसंत)है।जो पृथ्वी के परिक्रमण के कारण बदलते रहते हैं। ये मौसम प्राकृतिक होते है,किंतु इसके अपवाद में एक और मौसम है जो मानवनिर्मित मौसम है। जिसे चुनाव का मौसम कहते हैं। इसकी उत्पत्ति आजादी के समय से माना जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य मानव जीवन का नवनीकरण करना और अच्छे नेता नामक फल की उत्पति करना होता है।
यह भी सभी मौसम की तरह ही तीन महीना का होता है,लेकिन यह पाँच वर्षों में एक बार ही तीन महीने के लिए आता है। इस मौसम में मुख्यतः नेताओं की उपज की जाती है।
इसकी बुआई एक साल पहले की जाती है जिसे बढ़ने में छः महीने लगते है,फिर इसमें तीन महीने तक फूल लगे रहते है। और अंतिम के तीन महीने में यह फल में बदलने लगते है। और चुनाव के अंतिम दिन इसकी कटाई कर दी जाती है,तथा इसे दो सप्ताह बाद बेचा जाता है।
जब से इसकी बुआई की जाती है,तब से ही इसमें से एक क्रांति भरी ऊर्जा निकलने लगती है। और यह ऊर्जा पूरे वातावरण में फैल जाती है।इस ऊर्जा के कारण ही हमारे समाज में पक्की एवं नये सड़के,बिजली,अस्पताल,रोजगार तथा समाज की सभी समस्या का समाधान किया जाता है।
यह मौसम भी तीन तरह की होती है,जो अलग अलग जगहों पर अलग समय में आती है। पहली जो पूरे देश में आती है ,जिसकी उपज पूरे देश वासी करते है। और इसका लाभ भी पूरा देश लेता है।दूसरी जो राज्यों में आती है,जिसकी उपज पूरे राज्य के लोग करते है। और इसका लाभ भी पूरा राज्य ही लेता है। अंतिम जो पंचायत या नगर में आता है,जिसकी उपज भी पूरे पंचायत या नगर के लोग करते है। और इसका लाभ भी पूरे पंचायत या नगर के लोग ही लेते है।
लेकिन जैसे ही इसकी कटाई की जाती है और इससे क्रांति भरी ऊर्जा निकालना बंद होता जाता है। चुकी इसे किसान एक सप्ताह के बाद बेच देते है,जिसके कारण इस नेता नामक फल से एक दुर्गन्ध आने लगती है। जिसके परिणाम स्वरूप वातावरण में इसके दुष्प्रभाव उत्पन होने लगते है,और इसके दुर्गन्ध के दुष्प्रभाव के कारण भष्टाचारी ,महंगाई ,बेरोजगारी तथा अपराध बढ़ने लगते है।
और अंततः किसान एक वर्ष का सुख पाने के लिए चार साल का इंतजार करते करते खुद को ही खत्म कर लेता है। इस देश को आजाद हुए आठ दशक गुजरने को है और अभी भी यह सिर्फ एक मौसम ही बना हुआ है। तथा जनता इसे मौसम से एक चरण बनाने की उम्मीद कर रहा है। क्योंकि मौसम की पूर्णावृति होती है,और चरण बढ़ती ही जाती हैं। और हर चरण से एक सिख मिलती है,जिससे इसके अगले चरण में गलती करने की संभावना कम होती है।
🙏जय हिंद,जय भारत!👌
~S.KABIRA