Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2024 · 2 min read

चुनाव का मौसम

हमारे पर्यावरण में ऐसे तो मुख्यतः चार तरह के ही मौसम (ग्रीष्म,शीत,वर्षा एवं वसंत)है।जो पृथ्वी के परिक्रमण के कारण बदलते रहते हैं। ये मौसम प्राकृतिक होते है,किंतु इसके अपवाद में एक और मौसम है जो मानवनिर्मित मौसम है। जिसे चुनाव का मौसम कहते हैं। इसकी उत्पत्ति आजादी के समय से माना जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य मानव जीवन का नवनीकरण करना और अच्छे नेता नामक फल की उत्पति करना होता है।
यह भी सभी मौसम की तरह ही तीन महीना का होता है,लेकिन यह पाँच वर्षों में एक बार ही तीन महीने के लिए आता है। इस मौसम में मुख्यतः नेताओं की उपज की जाती है।
इसकी बुआई एक साल पहले की जाती है जिसे बढ़ने में छः महीने लगते है,फिर इसमें तीन महीने तक फूल लगे रहते है। और अंतिम के तीन महीने में यह फल में बदलने लगते है। और चुनाव के अंतिम दिन इसकी कटाई कर दी जाती है,तथा इसे दो सप्ताह बाद बेचा जाता है।
जब से इसकी बुआई की जाती है,तब से ही इसमें से एक क्रांति भरी ऊर्जा निकलने लगती है। और यह ऊर्जा पूरे वातावरण में फैल जाती है।इस ऊर्जा के कारण ही हमारे समाज में पक्की एवं नये सड़के,बिजली,अस्पताल,रोजगार तथा समाज की सभी समस्या का समाधान किया जाता है।
यह मौसम भी तीन तरह की होती है,जो अलग अलग जगहों पर अलग समय में आती है। पहली जो पूरे देश में आती है ,जिसकी उपज पूरे देश वासी करते है। और इसका लाभ भी पूरा देश लेता है।दूसरी जो राज्यों में आती है,जिसकी उपज पूरे राज्य के लोग करते है। और इसका लाभ भी पूरा राज्य ही लेता है। अंतिम जो पंचायत या नगर में आता है,जिसकी उपज भी पूरे पंचायत या नगर के लोग करते है। और इसका लाभ भी पूरे पंचायत या नगर के लोग ही लेते है।
लेकिन जैसे ही इसकी कटाई की जाती है और इससे क्रांति भरी ऊर्जा निकालना बंद होता जाता है। चुकी इसे किसान एक सप्ताह के बाद बेच देते है,जिसके कारण इस नेता नामक फल से एक दुर्गन्ध आने लगती है। जिसके परिणाम स्वरूप वातावरण में इसके दुष्प्रभाव उत्पन होने लगते है,और इसके दुर्गन्ध के दुष्प्रभाव के कारण भष्टाचारी ,महंगाई ,बेरोजगारी तथा अपराध बढ़ने लगते है।
और अंततः किसान एक वर्ष का सुख पाने के लिए चार साल का इंतजार करते करते खुद को ही खत्म कर लेता है। इस देश को आजाद हुए आठ दशक गुजरने को है और अभी भी यह सिर्फ एक मौसम ही बना हुआ है। तथा जनता इसे मौसम से एक चरण बनाने की उम्मीद कर रहा है। क्योंकि मौसम की पूर्णावृति होती है,और चरण बढ़ती ही जाती हैं। और हर चरण से एक सिख मिलती है,जिससे इसके अगले चरण में गलती करने की संभावना कम होती है।
🙏जय हिंद,जय भारत!👌
~S.KABIRA

1 Like · 1 Comment · 84 Views

You may also like these posts

आसमान की सैर
आसमान की सैर
RAMESH SHARMA
*मरण सुनिश्चित सच है सबका, कैसा शोक मनाना (गीत)*
*मरण सुनिश्चित सच है सबका, कैसा शोक मनाना (गीत)*
Ravi Prakash
ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲੁਕੇ ਦਰਦ
ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲੁਕੇ ਦਰਦ
Surinder blackpen
मेंहदी
मेंहदी
Sudhir srivastava
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
शेखर सिंह
न बन बादल कोई भरा
न बन बादल कोई भरा
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
आस...
आस...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
वो रात कुछ और थी ।
वो रात कुछ और थी ।
sushil sarna
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
सर सरिता सागर
सर सरिता सागर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
Omee Bhargava
बहुत खुश हैं अपनी दुनिया में
बहुत खुश हैं अपनी दुनिया में
डॉ. एकान्त नेगी
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
"वक्त को"
Dr. Kishan tandon kranti
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
डॉ. दीपक बवेजा
*मनकहताआगेचल*
*मनकहताआगेचल*
Dr. Priya Gupta
What can you do
What can you do
VINOD CHAUHAN
मन के मनके फोड़ा कर...!!
मन के मनके फोड़ा कर...!!
पंकज परिंदा
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
हिमांशु Kulshrestha
4121.💐 *पूर्णिका* 💐
4121.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बचपन की यादें
बचपन की यादें
Anamika Tiwari 'annpurna '
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
SPK Sachin Lodhi
मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूं
indu parashar
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
Phool gufran
मातम-ए-मर्ग-ए-मोहब्बत
मातम-ए-मर्ग-ए-मोहब्बत
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कहो कैसे वहाँ हो तुम
कहो कैसे वहाँ हो तुम
gurudeenverma198
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
सुशील कुमार 'नवीन'
महाभारत का महाकाव्य, कथा अद्भुत पुरानी,
महाभारत का महाकाव्य, कथा अद्भुत पुरानी,
पूर्वार्थ
Loading...