Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 2 min read

चुनावी मौसम

धूप प्रचंड में चल रहे
झेलते लू के थपेड़े,
चुनावी मौसम आ गया
हाथ दोनों जुड़ चुके।

दादा दादी के मधुर
मनोहर उद्बोधन,
कक्का के हाल चाल ले
बाँटते हलुआ सोहन।

पर्याय बन चुके आज
परोपकार के सब,
लग रहा इस चुनाव बाद
गरीबी हटके रहेगी अब।

कही नोट के बंडल
तो कहीं सोमरस बंट रहा,
छुटभैयों का तो जीवन
माल से तर हो रहा।

चुनाव आयोग का डेटा
सौ करोड़ नित्य पकड़ रहे,
यही अगर गति रही बनी
बेशक गरीबी हट कर रहे।

सफेदपोश एक है कहता
परेशान क्यों हो रहे?
गरीब को ही मिटाकर हम
गरीबी को दूर किये देंगे।

अरे जहाँ सैकड़ो टन भोजन
नित्य फेके जा रहे,
उस देश मे गरीबी अपनी
गिरहबान में रहे।

सब फिजूल की बाते है
दूसरे ने कहा
बेरोजगारी भला इस देश
में है कहीं क्या ?

खोजे मिलते नही आज
मेहनती मजदूर है,
कामचोरों के लिए सदा ही
सदा ही दिल्ली दूर है ।

अगर सरकारी नौकरी ही
है बेरोजगारी का पर्याय,
निश्चित जानो कयामत तक
यह दूर न होगी भाय।

चाप के खाना मिल रहा
ऊपर से पैसा बैंक में सीधे,
उँगली क्यों टेढ़ी करना
जब निकल रहा है घी सीधे।

गली गली में चारो ओर
जहाँ गुरु ही मिलते है
व्यापक शिक्षा की बात वहाँ
बेमानी से लगते है।

स्वास्थ्य एक मुद्दा है ऐसा
रामभरोसे चलता है,
हानि लाभ जीवन मरण
सब विधि के वश में होता है।

हुई गरीबी, शिक्षा,स्वास्थ्य
और बेरोजगारी की बात,
आओ कर ले भ्रष्टाचार
पर भी एक कुठाराघात।

अगर ये भ्रष्टाचार नहीं तो
जिससे कितनोंके घर चलते है।
प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
कितनो को अवसर देते है।

इसके पैसे से ही कितने
नित व्यापार पनपते है,
निर्मेष ये चुनावी मौसम है
कितनो के दुःख हारते है।

निर्मेष

1 Like · 62 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all
You may also like:
अपनी हिंदी
अपनी हिंदी
Dr.Priya Soni Khare
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
कुछ याद बन
कुछ याद बन
Dr fauzia Naseem shad
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
Subhash Singhai
"किसी ने सच ही कहा है"
Ajit Kumar "Karn"
मैं लिखता हूँ
मैं लिखता हूँ
DrLakshman Jha Parimal
"स्वार्थ"
Dr. Kishan tandon kranti
आज अचानक फिर वही,
आज अचानक फिर वही,
sushil sarna
ଅଦିନ ଝଡ
ଅଦିନ ଝଡ
Bidyadhar Mantry
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
Be careful who you build with,
Be careful who you build with,
पूर्वार्थ
जो भी पाना है उसको खोना है
जो भी पाना है उसको खोना है
Shweta Soni
!! शिव-शक्ति !!
!! शिव-शक्ति !!
Chunnu Lal Gupta
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
3984.💐 *पूर्णिका* 💐
3984.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कालः  परिवर्तनीय:
कालः परिवर्तनीय:
Bhupendra Rawat
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
चलते जाना
चलते जाना
अनिल कुमार निश्छल
कृष्ण की राधा बावरी
कृष्ण की राधा बावरी
Mangilal 713
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
आर.एस. 'प्रीतम'
पहचान धूर्त की
पहचान धूर्त की
विक्रम कुमार
समन्वय
समन्वय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
Manisha Manjari
तहरीर लिख दूँ।
तहरीर लिख दूँ।
Neelam Sharma
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...