Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2024 · 1 min read

चुनावी त्यौहार

चुनावी त्यौहार जब देश में आ जाता है।
मौसम फिर से एक बार गर्म हो जाता है।

सियासी नशे में आ कर हर इन्सान यहाँ।
इन्सानियत का केंचुल खुद छोड़ जाता है।

बँट जाते हैं भाई-भाई तक एक परिवार में।
एक ही लहू कई रंगों में फिर बदल जाता है।

खींच लेते हैं हम धर्म-जाति को सियासत में।
मुद्दा फिर हिन्दू,दलित,मुसलमान हो जाता है।

भटक जाते हैं हम क्यूँ असल मुद्दों से फिर।
जब भाषणों में मंदिर-मस्जिद सुना जाता है?

सालों भर रहते हैं ग़ायब इलेक्शन जीत कर।
शहर शहर गाँव गाँव इंतेज़ार में रह जाता है।

नहीं आते हैं साहब हमारे हाल तक भी पूछने।
जुमलेबाज़ी करने फिर इलेक्शन आ जाता है।

मूर्ख जाने कैसे बन जाते हैं हम लोग अक्सर।
जब बिजली,पानी,सड़क ख़्वाब रह जाता हैं !

बाद इलेक्शन शर्मसार हो जाते हैं हम यहाँ।
जब संघर्ष रोटी का फिर से शुरू हो जाता है।

Language: Hindi
47 Views
Books from Ahtesham Ahmad
View all

You may also like these posts

एक ख़ास हैं।
एक ख़ास हैं।
Sonit Parjapati
हाइकु
हाइकु
Mukesh Kumar Rishi Verma
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
Ravi Prakash
3047.*पूर्णिका*
3047.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
Suryakant Dwivedi
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
Ranjeet kumar patre
जो भूल गये हैं
जो भूल गये हैं
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
तुम्हारा नंबर
तुम्हारा नंबर
अंकित आजाद गुप्ता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
कृष्णकांत गुर्जर
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वक़्त मरहम का काम करता है,
वक़्त मरहम का काम करता है,
Dr fauzia Naseem shad
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
- तुम्हे गुनगुनाते है -
- तुम्हे गुनगुनाते है -
bharat gehlot
प्यार के मायने
प्यार के मायने
SHAMA PARVEEN
देश प्रेम की बजे बाँसुरी
देश प्रेम की बजे बाँसुरी
dr rajmati Surana
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
सुनो न
सुनो न
sheema anmol
सु
सु
*प्रणय*
इंतहा
इंतहा
Kanchan Khanna
एक दिवस में
एक दिवस में
Shweta Soni
मां जैसा ज्ञान देते
मां जैसा ज्ञान देते
Harminder Kaur
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
AJAY AMITABH SUMAN
"दोचार-आठ दिन की छुट्टी पर गांव आए थे ll
पूर्वार्थ
दोहा ग़ज़ल
दोहा ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
DrLakshman Jha Parimal
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
gurudeenverma198
12 fail ..👇
12 fail ..👇
Shubham Pandey (S P)
" मेरा भरोसा है तूं "
Dr Meenu Poonia
"मेहा राहगीर आँव"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...