चुनावी चकरघिन्नी
चुनाव एक ऐसा
सरकारी प्रक्रम है
जो लगातार चलता है
लोगों को हंसने
खिलखिलाने
बाहर लाफ्टर क्लब हैं
यहां चुनाव तो चुनाव होते हैं
चुनाव हास्य धारावाहिक
सा निरंतर चलता है
उधर भोले का लड़का
बतला रहा था
नौकरी की बड़ी कमी है
बड़ बड़ा रहा था
डी एड बि एड पी एच डी
हमऊ ने करी है
पर नौकर कहूं ही ना हमकुं
मिली है
हमने कहा कि
मौका है
चुनाव में आई टी सेल
हैं , पार्टियों के
सुना है वहां लोगों का टोटा है
समझी तो, ये व्यापार भी
अब न छोटा है
परंपरागत नौकरी
का अब जमाना नहीं है
दो रुपए में एक एस एम एस करो
अभी तो
यही काम सही है
उसने कहा ये तो
मौसमी काम है
आज है कल को नाकाम है
हमने समझाया
चुनाव हमारी सांस्कृतिक
धरोहर है
सत्तर से ज्यादा साल से
लगातार आयोजन है
साल में
कहीं न कहीं
चुनाव हो जाता है
और एक एक चुनाव
एक एक साल खिंच
जाता है
साइड में चुनावी रणनीति
सलाहकार का बोर्ड लगा
लेना
इससे भी न बात बने तो
राहु केतु के दोष दूर
करने की किताब भी
रख लेना
बेकार का हल्ला,
ठलुआई की बात है
रोजगार नहीं, आज
है
मनरेगा से ज्यादा काम
दे रहे हैं , रैली में आने वाले
को पूरी , सब्जी, गमझा,
साथ में नया पांच सौ
का शगुन दे रहे हैं
झंडा घर पर लगाई,
पेंट से अपना छुई मुई
बदन पुतवाई
सबका पेमेंट निरंतर है
यहां डिजिटल का कोई
चक्कर है
कुछ लोग भजन
गा रहे हैं
का वा का वा आजमा
रहे हैं
तुम भी कुछ क्यों कर
नहीं लेते
चुनाव के उद्योग में
क्यों लग नहीं लेते
यही शाश्वत , यही
निरंतर, यही स्थाई है
अब क्या बचा पूछना
चुनाव देश , देश चुनाव
बस अब ये ही बचा मेरे भाई है
डा राजीव जैन “सागर”