चुनरी रानी
ओ चुनरी रानी
कहा चल दी
गजरारे बाल
वहा क्या हाल
पांव में पायल
आँखों में काजल
नजर है बिंदास
पर मन क्यों है उदास
जरा बता मुझे
तू है किसके पास
बोली ओए गट्टू
तू किसके पास ?
क्यों बन रहा है लट्टू ।
तू नही जानता मेरे पास
तेरी ही कलाएं ,,,
जो दोनों कर्ण में लटकती बालाएं ।
उस तम में ,
उस गगन में ,,
सितारों में चमकता अर्धचन्द्र
जो बनाती है विचित्र कलाएं ।
वो बोला नदी के किनारे
तुझे देखा पनघट से क्या लाई
ओर तेरी यह लाल चुनरिया ,,
कैसी कैसी उड़ती जाई ,
ओर पानी का लिए यह घड़ा
मस्तक पर किस लिए है ,
वो बोली प्यारे तेरी इश्क की प्यास बुझाने ही आई ,
तेरे दिल की धड़कन को ही अजमाने ही आई ।
तेरे जीवन को ही इस जल में
समाजाने ही आई ।
✍✍प्रवीण शर्मा ताल
टी एल एम् ग्रुप संचालक
स्वरचित कापीराइट कविता
दिनाक 5/4/2018
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