चुनरी तेरे रूप अनेक
जो
लहराई
चुनरी
गगन में
गूंजे
जय माता दी
के जयकारे
जो ढांका
माँ ने
चुनरी से
ममतामयी
गोद
है वो
ओढ़ी चुनरी
बेटी ने
दुल्हन बन
चली ससुराल
वो
हैं चुनरी
तेरे
रूप अनेक
लाल
है चुनर
सौभाग्य की
सफेद
है चुनर
अंतिम यात्रा की
तिरंगी चुनर है
आन मान और
देश के शान
वीर शहीदों की
करो मान
ओढ़नी की
इसमें
बसी है
बेटी
बहू
और
बहन
हमारी
स्वलिखित
लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल