चीर हरण
चीर हरण हो रहे रोज़ यहां
जाने तू कब आएगा
पुकार रही लाखों द्रौपदियां
जाने तू कब आएगा।।
है सारे किरदार यहां पर
बस तेरी ही कमी खलती है
तेरे न आने से आज लाखों
दुशासनों की हिम्मत बढ़ती है।।
पांडव बनी है सारी जनता
सिर को झुकाए बैठी है
चीखती बेटियां पुकारे किसे
वो तो बहरी बनकर बैठी है।।
भीष्म पितामह के जैसा हमारा
सिस्टम लाचार नज़र आता है
जब भी कोई चीर हरण की
किसी घटना का समाचार आता है।।
धृतराष्ट्र की तरह हम अंधे हो गए है
न जाने हमारे जज़्बात कहां खो गए है
मां बहु बेटियों का हो रहा चीर हरण
फिर भी हम चैन की नींद सो रहे है।।
पांडव तो बंधे थे अपने वादों से
हमारा तो दुशासनों से कोई वादा नहीं
चीर हरण हो किसी भी बहु बेटी का
किसी भी सूरत में अब हमें ये गवारा नहीं।।
हो दुर्योधन साथ तभी दुशासन भी
चीरहरण की हिम्मत जुटा सकता है
ठान लें हम अगर, दुर्योधन और
दुशासन को मिटाया जा सकता है।।
कब तक रहेंगे मुरली वाले के भरोसे
मान लो कलयुग में वो न आयेंगे
जो उठे किसी दुशासन का हाथ
चीर हरण को किसी बहू बेटी के,
करो प्रण, अब काट दिए जायेंगे।।