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27 Jun 2020 · 3 min read

चीन के चक्कर में चल पड़ी चिक-चिक!

चीन ने गलवन घाटी में,
बढ़ाई अपनी सक्रियता,
आम आदमी को चल गया,
जल्दी ही इसका पता।

डेढ़ माह तक तो,
दोनों ने सब्र से काम लिया,
फिर एक दिन अचानक से,
हमारे क्षेत्र में प्रवेश किया।

हालांकि इस से पहले भी,
वह इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते रहे,
किन्तु थोड़ी सी नोंक-झोंक,
और थोड़ी सी नूरा कुश्ती करने के बाद,
वापस अपने क्षेत्र में लौट जाते भी रहे।

पंद्रह तारीख के दिन को,
फिर से उन्होंने यह किया,
भारतीय सैनिकों ने भी उस दिन,
उन्हें लौटाने को वही किया,
लेकिन आज तो उनके इरादे नेक ना थे,
साथ में अपने वह लाठियों पर ,
कंटिले तारों से बने डण्डे लिए हुए थे।

भारतीय सैनिकों को,यह नया अनुभव था,
इस प्रकार की हरकतों से वह पूर्णतया तैयार ना था,
चीन के सैनिकों ने, भारतीय सैनिकों पर प्रहार किया,
निहत्थे सैनिकों ने, अपना-अपना बचाव किया।

किन्तु चीनी सैनिकों का,
अपना दुष्चक्र बना रहा,
देर से ही सही, पर अब भारतीय सैनिकों ने,
उन पर पुरे जोश में प्रतिघात किया,
छीन कर उन्ही के भुजदण्ड,उन्ही पर प्रहार किया।

दोनों तरफ से यह चक्र,
तब तक चलता रहा,
लहूलुहान होकर जब तक,
शरीर में प्राण रहा,
इस तरह से वहां पर,
यह वाकया हुआ,
कुछ उनके सैनिकों को,
कुछ हमारे सैनिकों को,
एक दूसरे ने बंधक बना लिया।

घायलों को उपचार के लिए,
अस्पतालों में भर्ती कराया गया,
जो हो गये थे वहां पर शहीद,
उन्हें ससम्मान उनके परिजनों को सौंपा गया।

तभी से अपने देश में,
पक्ष-विपक्ष में तकरार जारी है,
एक दूसरे पर किए जा रहे हैं कटाक्ष,
और नित-प्रतिदिन एक दूसरे पर,यह हमला जारी है।

सैनिकों की सहादत पर,
रोज तर्क-कुतर्क हो रहे हैं,
चीन से तो लड लेंगे,अपने जवान,
पर अपनों के बोलों में उलझकर रहना,
जवानों के मनोबल पर, प्रतिकूल असर पड़ना,
इस सबसे बचने की, नहीं निभाई जा रही है जिम्मेदारी,
यही परेशानी हमारे लिए भारी है।

चीन ने तो चल दी है चाल,
हमारे लिए बिछा दिया है जाल,
हम उसी में गुथ्थमगू हुए जा रहे हैं,
जब सारे देश को एकजुट रहना था,
हम पक्ष-विपक्ष में बंटे जा रहे हैं,
यह वक्त हमारे धैर्य धरने का है,
सरकार को भी विपक्ष को साथ में रखने का है,
देश के प्रति विपक्ष की भी जिम्मेदारी है,
सरकार से तालमेल बनाए रखने की बारी है,
कमियों को गिनाने के अवसर आते रहेंगे,
जनता को इसकी खबर सारी है।

अपने निहित स्वार्थों से,देश को बरबाद ना करो,
देश ही सुरक्षित ना रहा तो, फिर किस पर राज करो,
जवानों के भरोसे पर सीमाएं हैं,
उन्हें अपना काम करने दो,
तुम तो बस इतना सा काम करो,
उनके घर को खुशहाली से भर दो,
कोई बच्चा पिता के अभाव में,
अनाथ ना होने पाए,
उस जवान के मां बाप को,
अपने बच्चों के बलिदान पर फक्र,
होने का अहसास उनकी सेवा से निभाया जाए,
शरहद पर सैनिकों को हर सुविधा से लैस करो,
खेतों में किसानों को,हर साजों सामान ,
और उसकी उपज का उचित दाम,का इंतजाम करो,
मजदूरों को श्रम प्रदान करो, रोजगार का सृजन आरंभ करो,
रोज की इस चिक-चिक से,अब तो ऐतराम करो।।

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 419 Views
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