#कविता//दादागिरी नहीं चली (#चौपाई छंद)
चालाकी ने मुँह की खाई।
गलवन राहें रास न आई।।
पीछे अपना क़दम हटाया।
चीन खड़ा होकर लज्जाया।।
डोकलाम भी मिला नहीं था।
चीनी धोखा चला नहीं था।।
धोखा देकर घाटा खाया।
भारत ने दर्पण दिखलाया।।
दादागिरी नहीं चलने दी।
चीनी दाल नहीं गलने दी।।
भारत वीरों का जोश चला।
हाथ चीन ने लाचार मला।।
धूर्त कभी बाज नहीं आए।
मौका पाकर सेंध लगाए।।
सतर्कता निज और बढ़ानी।
रिपु को है औक़ात दिखानी।।
चीनी व्यापार बंद करना।
हमें आत्मनिर्भर है बनना।।
होश ठिकाने सबके आएँ।
नहीं किसी से जब हम चाहें।।
विश्व विजेता की चाह रही।
चीनी कोशिशें अथाह रही।।
कोरोना इसने फैलाया।
सबको यूँ कमज़ोर बनाया।।
अब संभलना होगा आगे।
तोड़ चीन के कच्चे धागे।।
तरफ़ चीन की अब मत भागे।
अखिल विश्व अब तो हँस जागे।।
(C)(R)#आर.एस.”प्रीतम”