चीटी के प्रति !
चीटी के प्रति !
ढो रही है तू कितना भार,
ला रही है अपना आहार,
अरे तू सहती कष्ट अपार,
यही है तेरे सुख का सार,
तेरा जीवन है बड़ा कठोर
नहीं है इसका कोई छोर,
देख कर तेरा ये तप घोर,
हो रहा हूँ मैं भाव विभोर !!
चीटी के प्रति !
ढो रही है तू कितना भार,
ला रही है अपना आहार,
अरे तू सहती कष्ट अपार,
यही है तेरे सुख का सार,
तेरा जीवन है बड़ा कठोर
नहीं है इसका कोई छोर,
देख कर तेरा ये तप घोर,
हो रहा हूँ मैं भाव विभोर !!