चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
छंद -लावणी
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
रूॅठ गयी है चिड़िया रानी, हमको उसे मनाना है।।
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भोर हुई वो घर आ जाती ।
मन को सबके बहुत लुभाती ।।
पटर -पटर वो मीठे स्वर में,
नये -नये कलरव सुर गाती।
रूॅठ गयी क्यों चिड़िया रानी,हमको पता लगाना है।
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फुदक-फुदक कर जाती डाली।
लगती सबको बहुत निराली।।
खगवृंदो की सखी-सहेली,
सभी परिंदों में है आली।
आ जाये फिर घर आंगन में,यह माहौल बनाना है।
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पर्यावरण सुरक्षित होगा।
वातावरण परिष्कृत होगा।।
सौंपे उसको वही घरोंदा,
तापमान संकल्पित होगा।
आओ यह संकल्प करें हम,लालच अल्प मिटाना है ।
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