चींटी रानी
चींटी रानी हमें हमेशा, व्यस्त नज़र तुम आती हो
क्या करती आराम नहीं हो,जबभी तुम थक जाती हो
बार बार गिरकर भी अपनी,हार कभी कब मानो तुम
मंजिल को कैसे पाना है, अच्छे से ये जानो तुम
अपने अंदर इतनी सारी, हिम्मत कैसे लाती हो
क्या करती आराम नहीं हो,जबभी तुम थक जाती हो
लाल-लाल या काली-काली, हमने तुमको देखा है
चलती हो यूँ पंक्ति बनाकर, लगती पतली रेखा है
कोशिश मेंही जीत छिपी है,सबको ये सिखलाती हो
क्या करती आराम नहीं हो,जबभी तुम थक जाती हो
मौन सदा रखती हो लेकिन,काट जोर से लेती तुम
घुस कर खाने की चीजों में,तंग हमें कर देती तुम
नहीं भगाने से भी जातीं, ढीठपना दिखलाती हो
क्या करती आराम नहीं हो,जबभी तुम थक जाती हो
देख तुम्हारी नन्ही काया, होती हमको हैरानी
नहीं रगो में खून दौड़ता, दिखता बस पानी पानी
क्या खाती हो जिससे ताकत, अपने अंदर पाती हो
क्या करती आराम नहीं हो,जबभी तुम थक जाती हो
23-07-2023
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद