चिर निद्रा
मन के मोती :-
चिरनिद्रा
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चिरनिद्रा भी क्या निद्रा है
कोई जब इसमें सोता है
किस गफलत में वह होता है
सोने वाले को ध्यान नहीं
यात्रा पूरी कर जाता है
होता प्रयाण फिर और कहीं
संचित जो दृव्य किये उसने
सब पडे़ यहीं रह जाते हैं
केवल जो उसने कर्म किये
वे साथ उसी के जाते हैं ।
चिरनिद्रा क्या दुखदायी है
या चिरनिद्रा सुखदायी है
जो चला गया वह सुखी हुआ
जिनको छोड़ा वे दुखी हुए
पर जिस तन को अब तक भोगा
जिस तन से था खाया पिया
उसको तज कर के चल देना
कैसे इतना आसान हुआ ?
हमें कौन दिलाता चिरनिद्रा
हमें कौन दिलाता है ये तन
है कौन व्यवस्था का नायक
कहाँ रुपा हुआ है तन में मन
मन में मन क्यों फँस जाता है
तन से तन क्यों मिल जाता है
हैं तने प्रश्न अनगिन आगे
आओ इनको अब हल कर लें ।
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-महेश जैन ‘ज्योति’
( मन के मोती से)