चिरैया (कविता)
दिल में अरमां आँखों में सपने,
बिटिया रानी कुछ सोच रही थी।
मैं पूछी,
क्या सोच रही हो?
फिर वो मुझसे लिपट कर बोली,
माँ!
क्या मैं उड़ सकती हूँ?
चिड़िया जैसी?
माँ बोली,
हाँ क्यों नहीं?
बिटिया रानी कुछ सोच कर बोली,
कैसे माँ?
माँ बोली!
तुम अपने सपनों से प्यार करो।
सपनों को सच करने के लिए हौसला जरुरी है।
चाहे जितने भी राह में कांटे आए,
उसको तुम स्वीकार करो।
मन के हौसले,
पर्वत को भी गिरा सकते है।
कदम बढ़ाते ही रहना,
नहीं देखना पीछे तुम।
लहरों से तुम मत घबराना,
पतवार हाथ में ले लेना।
अगर नापना हो क्षितिज,
तो पंखों का विस्तार करो।
सपनों को पाना है तो,
काँटों से भी प्यार करो।
उन काँटों को फूल समझकर,
आगे बढ़ते जाना है
आगे बढ़ते जाना है —-
जय हिन्द