चिरागे इश्क
जाओ न मुझसे दूर मुलाकात कीजिए ।।
आओ क़रीब बैठकर कुछ बात कीजिए ।।
–*–*–*–*—*–*—-*—*—-*—-*—-*—-*-
मार ही डाल मुझे अपनी निगाहों से सनम ।
आहिस्ता आहिस्ता यूँ घायल न कीजिए ।।
—*—*—-*—-*—–*—–*—*—*—*—*
ख़ुशबू है ये बदन की या इत्र ए गुलाब है ।
मदहोश हो गया हूँ यूँ महका न कीजिए ।।
—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*
देखूँ मैं अक्श अपना ऑखों में आपकी ।
चिलमन को यूँ उठाकर गिराया न कीजिए ।।
—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*–‘*–‘*
चाँद की आह निकलती है देखकर आपको ।
कातिल है ये जमाना यूँ ही घूमा न कीजिए ।।
—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*
शुरख लाल होंठ है ऑखों में मयकदे हैं ।
प्यासा हूँ बहुत जाम छलकाने तो दीजिये ।।
—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*
चिरागे इश्क जलाया है बड़े ही नाज से ।
हवाये है बहुत तेज जरा इसको बचाइये ।।
—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*—*
उमेश मेहरा
गाडरवारा (मध्य प्रदेश )
9479611151