चित्त चोर
ओ चित्त चोर
मुरली मुझे अपनी बना ले
बना वेणु अधरों से लगा ले
सुन बाँसुरी गोपियाँ बेसुध
गायें भी सुने हो बेसुध
ऐसी मोहनि मुरली बना ले
सज कटि पाऊ स्पर्श
जब मिले करों का संस्पर्श
कटि में कान्हा मुझे लगा ले
लगा कर अंग बसा ले
तान मधुर बजा ले