चिड़िया…!
चिड़िया चाहे किसी भी खिड़की पर बैठ जाए
लौट कर अपने घोंसले पर ही जाएगी,
घूम ले चाहे आस्मां पुरा
भूल न जाए जब तक खुद से वो घोंसला अपना,
आशियाँ बदलना वो भी नहीं चाहेगी
तोड़ दे अगर उसका बनाया घोंसला कोई,
हिम्मत कर वापिस वो वही अपना आशियां बनाएगी
लुभा ले चाहे आस्मां उसे बदल कर मौसम अपना,
सुबह की रास्ता भटकी चिड़िया भी,
शाम ढले अपने ठिकाने पर फिर वापिस लौट जाएगी…!
~ गरिमा प्रसाद 🥀