चिड़िया रानी ………..बाल कविता
चिड़िया रानी ………..बाल कविता
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सुबह सवेरे वो आती है
मुझको रोज जगाती है
सुर में जब वो गाती है
मुझको बहुत लुभाती है
अजब गजब उसकी भाषा
अजब गज़ब उसकी बोली है
दिखने में लगती बड़ी चंचल
पर आदत से वो बड़ी भोली है ।।
बाहे फैलाकर मुझे बुलाती है
और गीत ख़ुशी के गाती है
सुनकर उसकी मधुर पुकार
दिल की गिरह खुल जाती है ।।
रास रसीली, कोमल गात
मुरझा जाये वो लगते हाथ
इशारो में होती अपनी बात
खूब भाता हमे दूजे का साथ ।।
उसके आनी से आँगन चहके
घर का कोना। कोना महके
तन मन मंगलमय हो जाता
संग में उसके कुछ पल रहके ।।
नीरस ह्रदय की वो उमंग है
मेरे जीवन में भरती रंग है
जिंदगी की एक कड़ी बनके
सदा चलती वो मेरे संग है ।।
तुम कहते हो तो नाम बता दूँ
उसके रहने का स्थान बता दूँ
न समझो उसे कोई पहेली
सबसे उसका परिचय करा दूँ ।।
नन्ही सी वो बड़ी प्यारी सी है
सुनहरे रंग की चिड़िया उसका नाम !!
नित्य भोर में मिलने आती है
दे जाती है मुझे निश दिन जीने का आयाम !!
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डी. के. निवातिया _