चिड़ियां
जगह जगह है अब पानी
चिड़ियों का आया जवानी
हरा भरा अब झाड़े है
बंदर को भी पछाड़ें है
निज चोंचों से बना घोंसला
तन तंदरूस्त मन चंगा
आंगन आंगन में खेल रही
खोर गली बनी है गंगा
चिड़ियां है चहकी चहुं दिशा
घनघोर बादल छाये हैं
पंछी करती कलरव भारी
बच्चों के मन भायें है।।
नानी दादी सब देकर दाना
आंगन पर बुलाती है
छोटी गुड़िया,मेरी बहना
मन ही मन हर्षाती है।।
चिड़ियां रानी ,चहक आंगन पर
सुंदर मौज उडा़ते है।
छोटु राजा , मम पिता का भांजा
उनके सर पर रंग चढ़ाते हैं।।