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11 Jul 2022 · 1 min read

चिट्ठी- वो नीला रंग।

बरसों पहले कोई डाकिया कभी,
लाया करता था चिट्ठी,

अपनों का अपनापन साथ लिए,
आया करती थी चिट्ठी,

नीला आसमानी रंग था उसका,
कहलाती थी चिट्ठी,

किसी अपने को चिट्ठी लिखना,
फिर जवाब का करना इंतज़ार,

चिट्ठी केवल चिट्ठी न थी,
थी मज़बूत रिश्तों का आधार,

कोई प्रेमिका लिखती थी चिट्ठी कभी,
तो संदेश भेजता था कोई मित्र,

स्नेह रूपी शब्दों के धागों में बंधी,
चिट्ठी थी प्रेम का चित्र,

परिवर्तन के इस दौर ने नीले,
रंग की रंगत चुराई,

संदेशों का दौर है आज भी जारी,
पर रीत प्रीत की हो गई पराई,

दुनिया की प्रगति में जाने कहां,
खो गया नीला रंग,

तकनीकी साधनों से जुड़े हैं रिश्ते,
पर कहां वो पहले सा संग।

कवि- अम्बर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
1 Comment · 148 Views
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