चिंतित अथवा निराश होने से संसार में कोई भी आपत्ति आज तक दूर
चिंतित अथवा निराश होने से संसार में कोई भी आपत्ति आज तक दूर नहीं हुई है आपत्तियों को दूर करने का उपाय है उत्साहपूर्ण पुरुषार्थ । परिस्थितियों के वशीभूत होकर आत्मसमर्पण कर देना विनाश का कारण है, तो चिंताएं छोड़कर पुरुषार्थ के लिए कमर कसिऐ ।
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विनोद कृष्ण सक्सेना (पटवारी)