चिंता ना करें:-
चिंता ना करें चिंता नहीं करें हर ग्रन्थ संदेशा देता है।
चिंता खा जाती है तन को ,पर चिंतन संबल देता है ।
मानव जब दौड़ लगाता है खाकर ठोकर गिर जाता है।
ठोकर खा दौड़ शुरू करना, चिंतन फिर से बल देता है ।
हर बालक दौड़ लगाता है एक शीर्ष सफलता पाने की।
किंतु एक बालक पाता है कुंजी अनमोल खजाने की ।
ईर्ष्या ना करें प्रतिस्पर्धा करें जिससे व्यक्ति सुख लेता है ।
चिंता ना करें चिंतन ही करें हर ग्रंथ संदेशा देता है ।
व्यक्तिजो सदा खुश रहता है दुख भी उससे घबराता है ।
ईश्वर उस दिल में रहता है मानव हर सुख पाजाता है।
रेखा यह कहे इंसान बने इंसान सदा सुखी रहता है।
चिंता खा जाती है तन को पर चिंतन संबल देता है।