मंत्री के चमचा हैं चाचा
मंत्री के चमचा हैं चाचा।
झड़प कलक्टर को देते हैं
काम कमिश्नर से लेते हैं
एसपी करे बदतमीजी तो
वे सकते हैं मार तमाचा। मंत्री के चमचा हैं चाचा।
हर साहित्यिक सम्मेलन में
हर वैज्ञानिक अधिवेशन में
हुआ क्षेत्र में आयोजित तो
पर्चा सदा उन्होंने बाॅंचा। मंत्री के चमचा हैं चाचा।
उनसे बड़े – बड़े भय खाते
अधिकारी सब शीश झुकाते
जिस पर कोप करें वे अपना
वह फिरता है नाचा – नाचा। मंत्री के चमचा हैं चाचा।
अच्छा हॅंसता-खाता मानव
वंक भृकुटि से बन जाता शव
उन्हें असम्भव काम न कोई
मैंने उनको परखा – जाॅंचा। मंत्री के चमचा हैं चाचा।
हैं उनके चेले बहुतेरे
जो उनको रहते हैं घेरे
उनकी आज्ञा पा जाएं तो
खण्डित कर देते हर खाॅंचा। मंत्री के चमचा हैं चाचा।
महेश चन्द्र त्रिपाठी