चाह
चलते चलते रुकना ना पड़े
ऐसी राह पकड़ चलो
करते करते थमना ना पड़े
ऐसी चाह पकड़ चलो
कर्म अपने करते चलो
चाहे राहें कैसी भी हों
फूल, काँटे हों पथ पर
क़दम कभी थमने ना दो
चाह और राह ऐसी चुनो
हमदम, हमसफ़र का साथ हो
राही कुछ दूर आगे बढ़ो
मंज़िल की ओर निकल चलो।