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Dr. Rajeev Jain
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8 Jul 2024 · 1 min read
चाह
चाह घटी परवाह घटी
घटी मन की पीर
जतन तो कर मन भाव से
आगे है तक़दीर
डा राजीव “सागरी”
Language:
Hindi
Tag:
कविता
,
चाह
,
चिंता
,
राजीव
,
सांगरी
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