Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Vindhya Prakash Mishra
44 Followers
Follow
Report this post
28 Oct 2022 · 1 min read
चाह
चाह मे तेरी थोडा थोडा जीते है
जैसे चाय को होठो पर लगाए
धीरे धीरे पीते है।
Language:
Hindi
Like
Share
2 Likes
· 142 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
कर (टैक्स) की अभिलाषा
तारकेश्वर प्रसाद तरुण
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
Dr fauzia Naseem shad
*मोदी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अतीत
Bodhisatva kastooriya
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
स्नेह से
surenderpal vaidya
4752.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गिलहरी
Kanchan Khanna
नेता पलटू राम
Jatashankar Prajapati
*कहर है हीरा*
Kshma Urmila
मछली रानी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
? ,,,,,,,,?
शेखर सिंह
माँ सच्ची संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पत्थर - पत्थर सींचते ,
Mahendra Narayan
"ऐ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
VINOD CHAUHAN
गम के दिनों में साथ कोई भी खड़ा न था।
सत्य कुमार प्रेमी
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
..
*प्रणय*
कितना कुछ
Surinder blackpen
चलो स्कूल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
समझ
मधुसूदन गौतम
जो दिल में उभरती है उसे, हम कागजों में उतार देते हैं !
DrLakshman Jha Parimal
हिंदी दोहे-पुरवाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सत्य की खोज
Shyam Sundar Subramanian
अगर आप सफल
पूर्वार्थ
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
Keshav kishor Kumar
Loading...