चाह नहीं होती…….
जो बोलते नहीं,
उनकी चाह नहीं होती?
बयाँ न करने वालों की
जज़्बात नहीं?
सम्मान करें सबका,
उनका अपमान नहीं होता?
कम बोलने वालों की
ज़ुबान नहीं होती?
समय पर छोड़ने वालों का
समय नहीं आता?
जूझने वालों की
रूह नहीं होती?
परिस्थितियों को अपनाले जो
उनकी दरकार नहीं होती?
दुराचार न करने वालों के साथ,
अच्छी सरोकार नहीं होती?
कुछ न चाहने वालों की
अपनी चाह नहीं होती?
मंज़िल ढूंढ़ने वालों की
अपनी राह नहीं होती?
समझौता कर ले ख़ुद से
उनको परवाह नहीं होती?
छोड़तें हैं जिसपर वह सब
उनको अहसाह नहीं होता?
मानने वाले सब की बातों का
कोई मान नहीं होता?
सब्र करने वालों को
मीठे फ़ल नहीं मिलते?
निराशा से भरे इस दौर में
कोई आश नहीं होती?
बिखरे हुए इस मन की
कोई राह नहीं होती?
सबके मन को पढ़ने वालों की
अपनी मनोविज्ञान नहीं होती?
सोनी सिंह
बोकारो(झारखंड)