Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2024 · 1 min read

चाहे जिसको नोचते,

चाहे जिसको नोचते,
वहशी कामुक लोग ।
फैल वासना का रहा ,
अजब घृणित यह रोग ।।
सुशील सरना / 20-9-24

15 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ दोमुंहा-सांप।।
■ दोमुंहा-सांप।।
*प्रणय प्रभात*
जला दो दीपक कर दो रौशनी
जला दो दीपक कर दो रौशनी
Sandeep Kumar
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित
Dr .Shweta sood 'Madhu'
"Every person in the world is a thief, the only difference i
ASHISH KUMAR SINGH
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
shabina. Naaz
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Chaahat
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
Rajesh Kumar Arjun
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
Srishty Bansal
तमगा
तमगा
Bodhisatva kastooriya
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
— नारी न होती तो —
— नारी न होती तो —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
धरा प्रकृति माता का रूप
धरा प्रकृति माता का रूप
Buddha Prakash
मां
मां
Sonam Puneet Dubey
राखी की सौगंध
राखी की सौगंध
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आपकी सादगी ही आपको सुंदर बनाती है...!
आपकी सादगी ही आपको सुंदर बनाती है...!
Aarti sirsat
🍁
🍁
Amulyaa Ratan
*हिंदी*
*हिंदी*
Dr. Priya Gupta
4378.*पूर्णिका*
4378.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कौन सुने फरियाद
कौन सुने फरियाद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दीवाली
दीवाली
Nitu Sah
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
कृष्णकांत गुर्जर
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
manjula chauhan
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
लक्ष्मी सिंह
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Loading...