चाहत
नफरतों में मोहब्बत को भुलाया नहीं जाता ।
इश्क़ में चाहतों को आज़माया नहीं जाता ।
दिल के हज़ार टुकड़े हुए इश्क़ में मगर ।
टूटा हुआ दिल किसी को दिखाया नहीं जाता ।
उजडे़ हुए गुलशन तो बसा लेते हैं सब लोग।
मुकद्दर अपना किसी को दिखाया नहीं जाता।
खुद पैदा हो जाती है मौहब्बत दिलों में सबके।
हुनर इश्क़े मोहब्बत का सिखाया नहीं जाता ।
लोग मर मिटने का दावा तो करते हैं सभी ।
पर बादा -ऐ-मोहब्बत अब निभाया नहीं जाता ।
दिल की गलियों में मौहब्बत की जगह ख़ाली है ।
हर किसी को जामे मोहब्बत पिलाया नहीं जाता ।
हमने सीखा है मौहब्बत में तड़पना लेकिन।
दर्द -ऐ-इश्क मोहब्बत में सुनाया नहीं जाता ।
उसकी आंखों में कुछ ख्वाब भी देखें थे मगर ।
उसकी मासूम मोहब्बत को भुलाया नहीं जाता।
बुझा दिया है मैंने दिल से मौहब्बत का चिराग ।
इश्क़ का अब , फूल, तमाशा बनाया नहीं जाता।।