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19 Nov 2021 · 1 min read

‘चाहत’

‘चाहत’

मुस्कराहट तुम्हारी मुखड़े पर सदा खिली रहे,
ज़माने में तुमको हर खुशी, हमेशा मिलती रहे।
दूर रहने से भी करीबियां, कम होती नहीं कभी,
दिल में मिलन की आस ,अगर सुलगती रहे।

पास तुम थे जब तो, हर पल जैसे हसीन थे,
दूर जब हुए तुम तो, हम थोड़ा ग़मगीन थे।
शिद्दत से मांगती हूँ, उस खुदा से मैं दुआ,
दिन दुबारा वही मिलें ,जो ताजा तरीन थे।

सुना है चाहत की तासीर, होती अमीर है,
लगता हमेशा ही उसका, निशाने पे तीर है।
बदल सकती है पल में, चाल वक्त की भी ,
दिल की मुराद लानेवाली, वो सुंदर बसीर है।

©®
गोदाम्बरी नेगी

2 Likes · 6 Comments · 453 Views
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