“चाहत”
मोहब्बत दूरियों का मोहताज नहीं
ये और भी गहरा हो जाएगा
फासलें कितनी भी हो निग़ाहों की
ये दिल तुझे ना भुला पाएगा।
अफ़सोस नहीं है मुझे
की तू दूर है मुझसे
यकीन है, एक दिन ऐसा भी आएगा
इस सच्ची मोहब्बत की दास्तान
हर एक जुबां सुनाएगा।
तड़प है मुझमें भी
कि, एक बार देखुं तुझे
क्या यह कशिश मेरी
कसक बन जाएगा
रह जाएगा अकेला ये दिल
और मिलने की चाहत मेरी,
मुझे खूब रुलाएगा।