चाहत मे किसी के खोने से ।
ग़ज़ल चाहत में किसी की खोने से ।
चाहत मे किसी के खोने से ।
दिल सोच तु पहले रोने से ।।
एतबार न करना लोगों पर ।
बस प्यार ज़रा सा होने से ।।
हर शक़्स नही तेरे क़ाबिल ।
क़ातिल है रूप सलोने से ।।
बस हार मिलेगी सोच जरा ।
क़िरदार किसी का ढ़ोने से ।
फ़ुर्सत हि नही है लोंगो को ।
अब बीज ग़मो का बोने से ।
क़ीमत लग जायेंगी तेरी ।
दिल तौल रहे है सोने से ।।
ये अश्क़ नही है मोती है ।
ढरते है आँख के कोने से ।।
राम केश मिश्र