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20 Apr 2018 · 1 min read

चाहत की दुनिया

ये चाहत की दुनिया निराली है यारो
कोई कुछ कहे, बस ख़याली है यारो

उमंगें हैं रौशन, जवाँ और रवाँ हैं
यहाँ रोज़ ही तो दिवाली है यारो

मुक़म्मल नहीं है कोई शय यहाँ पर
ये दुनिया अधूरी है, ख़ाली है यारो

किया याद ने उनकी तनहा मुझे फिर
मुसीबत फिर इक मैंने पाली है यारो

तमाशा दिखाया है ग़ुर्बत ने मेरी
ज़ुबाँ ख़ुश्क है, पेट ख़ाली है यारो

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