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5 Jul 2023 · 1 min read

चाहते हो

** गीतिका **
~~
तुम स्वयं को क्यों बदलना चाहते हो।
जिन्दगी को आम करना चाहते हो।

स्नेह पूरित है बहुत फितरत तुम्हारी।
व्यर्थ क्यों फिर आह भरना चाहते हो।

है बहुत ही सामने आना जरूरी।
क्यों मगर फिर दूर रहना चाहते हो।

है कभी जब वक्त सबको आजमाता।
क्यों नहीं कुछ कष्ट सहना चाहते हो।

कीजिएगा कोशिशें जी जान से अब।
जब बहुत आगे निकलना चाहते हो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)

6 Likes · 3 Comments · 113 Views
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